तीलियाँ






रहना ही होता है हमें

अनचाहे भी कुछ लोगों के साथ

जैसे माचिस की डिबिया में रहती हैं

तीलियाँ सटी हुई एक-दूसरे के साथ



प्रत्यक्षत: शांत

और गंभीर

एक-दूसरे से चुराते नज़रें पर

देखते हुए हज़ारों-हज़ार आँखों से

तलाश में बस एक रगड़ की

और बदल जाने को आतुर

एक दावानल में



नादान हैं, भूल जाते हैं कि

तीलियों का धर्म होता है सुलगाना

चूल्हा या किसी का घर

खुद कहाँ जानती हैं तीलियाँ

होती हैं स्वयं में एक सुसुप्त ज्वालामुखी

हरेक तीली



कब मिलता है अधिकार उन्हें

चुनने का अपना भविष्य

कभी कोई तीली बदलती है पवित्र अग्नि में तो

कोई बदल जाती है लेडी मेकबेथ में…





मुआवजा



कविता के बदले

मुआवज़े का अगर चलन हो तो



संभव है मैं मांग बैठूं

मधुमक्खियों से

ताज़ा शहद

कि भिगो सकूँ

कुछ शब्दों को इसमें,

ताकि विदा कर सकूँ कविताओं से

कम-से -कम थोड़ी सी तो तल्खी,



या मैं मांग सकती हूँ कुछ नए शब्द भी

जिन्हें मैं प्रयोग कर सकूँ,

अपनी कविताओं में

दुःख,

छलावे,

प्रतिकार

या प्रतिरोध के बदले,



आपके लिए यह हैरत का सबब होगा

अगर मैं मांग रख दूँ कुछ डिब्बों की

जिनमें कैद कर सकूँ उन स्त्रियों के आंसू

जो गाहे-बगाहे

सुबक उठती हैं मेरी कविताओं में

हाँ, मुझे उनकी खामोश,

घुटी चीखों वाले डिब्बे को

दफ़्न करने के लिए एक माकूल

जगह की दरकार है.